जी चाहता है…(लघुकथा) –हरे कृष्ण प्रकाश

जी चाहता है…(लघुकथा)
–हरे कृष्ण प्रकाश

शाम तक घर आ जाऊंगा माँ, चल सोनू जल्दी चल लेट हो रही है! घर से जल्दबाज़ी में निकलते वक्त घोल्टा ने अपनी मां से कहा और सोनू के साथ सफर पर चल पड़ा…! अरे यार कहाँ थे अब तक…,तुम दोनों का इंतजार करते करते आंखे तरस गई ठीक उसी तरह जैसे बारिश के इंतजार में एक किसान का!
तुम्हें पता है न कि वहां विलम्ब भी हो सकती है औऱ हाँ मां को घर में सच तो नहीं न बोल दिया तुम दोनों ! यहाँ हम तीनों (कुणाल, दीपक व खरुष) अपने अपने घर झूठ बोल कर निकले हैं और तुम दोनों इतनी देर लगा दी आने में, हद है यार… खरुष अपने दोनों दोस्त सोनू और घोल्टा से कहता है। सोनू, घोल्टा, कुणाल, दीपक और खरुष पांचों आपस में मित्र हैं और हाँ खरुष के बारे कुछ बताना तो भूल ही गया खैर छोड़िए पहले बताने से कोई फायदा भी तो नहीं था पर अब बता रहा हूँ खरुष का असली नाम रवि है परन्तु दोस्तों से उनका व्यवहार हमेशा खरुष आदमी की तरह होता है इसलिए सभी दोस्त रवि को खरुष ही कह कर पुकारते हैं।

Poet Hare Krishna Prakash               एक दिन जब पांचों दोस्त एक साथ बैठ कर बारवीं की पढ़ाई खरुष के घर पर कर रहे थे तभी खरुष कहता है मित्र पढ़ने में मन नहीं लग रहा है,,, जी चाहता है….घोल्टा के कान में अपनी चाहत जाहिर करता है, अरे वाह यार मजा आ गया तुम्हारे मजेदार प्लान सुनकर! घोल्टा खरुष से कहता है। फिर सभी दोस्तों को घोल्टा ने खरुष के द्वारा बनाये गए प्लान “जी चाहता है कि कहीं सुनसान जगह पर जाकर पार्टी करें” की जानकारी बारी बारी से सभी को देता है साथ ही सभी ने खरुष के प्लान को लेकर अपनी सहमति दर्ज की।पांचों दोस्त एक ऑटो में बैठ चल देते हैं एक सुनसान स्थान की तलाश में अपने  घर से  दूर  पार्टी करने के लिए….! खरुष तुम अपने घर से कितना रुपया लेकर आया है? कुणाल पूछता है। हां भाई एक सौ ले लिया हूँ पर कम ही लग रहा तुम तो हो न यार…! खरुष कुणाल को जवाब देते हुए कहता है। तुम बताओ कुणाल… मैं भी तीन सौ लाया हूँ, तभी घोल्टा कहता है-यार मैं दो सौ लाया हूँ …     इस तरह कुल  मिलाकर बारह सौ रुपये का इंतजाम सभी दोस्त कर लिए हैं, खरुष से दीपक कहता है।   वो देखो  सोनू   खंडहर सा खाली मकान, इसमें तो कोई आता जाता भी नहीं होगा। हम लोगों के पार्टी के लिए यही स्थान सही है, खरुष सोनू से कहता है! सभी दोस्त उस खंडहर मकान में पार्टी करने का फैसला करता है। ड्राइवर साहब यहीं गाड़ी रोक दीजिये, ऑटो ड्राइवर से घोल्टा कहता है। चल यार जल्दी कर कहीं कोई अपना आदमी देख न ले हमसभी को! गाड़ी से उतरते उतरते खरुष दोस्तों से कहता है।दीपक, तुमने तो कहा था कि तुम्हारे एक आदमी हैं जो रम (शराब) हमसभी के पहुंचते ही ला देगा! जल्दी तुम उसे कॉल करो और कहो जहां से हो वहां से उपाय कर तुरन्त लेकर आये! कुणाल कहता है दीपक से।

              यार जल्दी से अपने अपने बैग से खाने के लिए निकालो वह बोतल(दारू) लेकर आ ही रहा है। खरुष सभी दोस्तों से कहता है। आपमें से दीपक कौन है जिससे मेरी बात हुई थी! शराब डिलवरी करने वाला सभी दोस्तों से पूछता है।जी मैं ही दीपक हूँ, तो चल निकाल बारह सौ रुपया और ले अपना बोतल! क्या बारह सौ, पर इतना तो दाम नहीं है न, उस लड़का से दीपक कहता है! डिलेवरी वाला लड़का- तुम्हें तो पता ही है अभी शराबबंदी में माल जल्दी नहीं आता है इसलिए दाम बढ़ा हुआ है चलो निकालो जल्दी से देर मत करो। दीपक- भाई एक हजार ले लो इतना ही है ठीक है लाओ पैसा, लड़का यह कहते एक बोतल दीपक के हाथ में थमा देता है। दीपक- लो भाई तुम्हारा एक हजार रुपया, माल तो सही है न। हाँ, एक नंबर पीने के बाद पता चलेगा तुम्हें, लड़का दीपक से कह कर चला जाता है।भाई मैं तो पहली बार ही शराब पी रहा हूँ, खरुष अपने दोस्तों से कहता है। कुणाल- मैं दूसरी बार, दीपक-तीसरी बार, घोल्टा-पहली बार, और सोनू- पहली बार! शराब पार्टी कर सभी नशे से लोट पोट होने लगे। अरे सोनू तुम क्यों ऐसे गिर रहे हो बार बार, दीपक सोनू से कहता है। सोनू- यार पता नहीं मन घूम रहा है लगता है ज्यादा पी लिया हूँ यह कहते सोनू जमीन पर गिर पड़ा! कुणाल ने सोनू के नब्ज़ को टटोलते हुए सभी से कहा यार सोनू तो मर गया! भाग यहाँ से नहीं तो सब पकड़े जाएंगे। अरे ऐसे कैसे भाग जाएं इसकी मां को क्या जवाब देंगे, घोल्टा अपने साथियों से कहता है। दीपक-समय कम है जल्दी यहाँ से निकल और इसके मां से सच्चाई कह देना चाहिए। बिल्कुल चलो जल्दी भागो, खरुष सभी से कहते हुए सड़क की ओर दौड़ता है।सोनू की मां बेटे के आने की राह देख रही है तभी सभी दोस्त को आते देख खुश हो जाती है। सोनू की मां- अरे सोनू कहां रह गया वह तो तुम्हारे ही साथ था न , यह घोल्टा से मां कहती है। सभी दोस्त रोते हुए सोनू की माँ से सच्चाई बताता है और भाग जाता है। यह दुखद घटना सुनकर माँ चीख चीख कर रोते-रोते कहती है- सोनू कभी शराब नहीं पीता था, दोस्तों के चक्कर में वह पी लिया होगा और हमें छोड़ जग से चला गया, यह कहते हुए सोनू की माँ बेहोश होकर गिर जाती है।

                                                                                                          @-हरे कृष्ण प्रकश (पूर्णियां, बिहार)



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