साहित्य के निर्भीक और बेबाक प्रवक्ता हैं सिद्धेश्वर!: प्रेमकिरण

साहित्य के निर्भीक और बेबाक प्रवक्ता हैं सिद्धेश्वर!: प्रेमकिरण


पटना : 03/05/2023 l ” भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष, लघुकथाकार एवं चित्रकार सिद्धेश्वर जी ने बहुत कम समय में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है। नवोदित रचनाकारों को बिना किसी भेदभाव के प्रोत्साहित करना और उनका उत्साहवर्धन करना इनकी विशेषता रही है। आज जिन साहित्यकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है ,कालांतर में उन सभी की भारतीय युवा साहित्यकार परिषद की गोष्ठियों मेंं भागीदारी रही है। उनमें से एक मैं भी हूं। सिद्धेश्वर जी साहित्य के एक निर्भीक और बेबाक टिप्पणीकार हैं। वे साहित्य की किसी भी विधा पर अपनी स्वतंत्र राय रखते हैं। हम उनसे सहमत या असहमत हो सकते हैं। अपने ऊपर की गई आलोचनाओं की परवाह वे कतई नहीं करते। हर आलोचक को सिद्धेश्वर जैसा ही होना चाहिए। दुर्भाग्य से ऐसे आलोचक हिंदी साहित्य में कम हैं। सिद्धेश्वर जी का आर्ट वर्क भी कमाल का है। जीवन की तमाम विसंगतियों और विद्रूपताओं को अपने रेखाचित्रों के द्वारा उकेरने में दक्ष हैं। वे उसे रंगों के माध्यम से और भी जीवंत बना देते हैं। यही कारण है कि आज राष्ट्रीय स्तर की अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं और पुस्तकों के आवरण पृष्ठों पर उनके बनाये चित्र ससम्मान स्थान पा रहे हैं।सिद्धेश्वर जी ने सेवानिवृत्ति के पश्चात सोशल मीडिया का सदुपयोग बहुत ही कारगर तरीके से किया है। इसके माध्यम से इन्होंने साहित्य और कला की जो सेवा की है वह अतुलनीय है।

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, हेलो फेसबुक साहित्य विविधा में सिद्धेश्वर का साहित्य विविधा एकल पाठ के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ शायर प्रेमकिरण ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया lइसके पश्चात सिद्धेश्वर ने, एक से बढ़कर एक कविता गीत ग़ज़ल नज़्म का भी पाठ किया l खुशियाँ हैं बहुत कम और अरमान बहुत हैं !,दुनियाँ में भी सब लोग परेशान बहुत हैं।/ हम जमाने में सताए जाएंगे फिर भी हरदम मुस्कुराए जाएंगे!/ जिस में छुपा है मेरी जिंदगी का राज, वह खत जरूर तुमको जला देना चाहिए!/ जब जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है दोस्त,वादा अगर किया है तो निभा देना चाहिए!/ आदर्श नैतिकता प्रतिभा ना तो मानवता है बहुत कुछ, देश को लूटने वालों की चर्चा है बहुत कुछ l/ ना जाति,ना धर्म, ना आबरू, ना शरम, पेट के लिए रोटी का टुकड़ा है बहुत कुछ!/ माना झूठा ही सही ख़्वाब दिखाती तो हो!,ग़ैर होकर भी हमें अपना बताती तो हो!/जुदाई से यहाँ किसको है डर नहीं लगता,मगर लकीरों का लिक्खा कभी नहीं मिटता!/जैसी कविता गीत गजल और शायरी की झड़ी लगा दिया सिद्धेश्वर ने! इसके अतिरिक्त उन्होंने हम होंगे कामयाब( कहानी का अंश) के साथ बुझे हुए चेहरे का सच, 21वीं सदी की गांधीगिरी, गटर का आदमी, मां,औरतखोर, उपहार आदि शीर्षक से 1 दर्जन से अधिक लघुकथाओं का पाठ भी किया lइसके अतिरिक्त सिद्धेश्वर द्वारा लिखित लघुकथा अंतर और सिमटती दूरियां पर अनिल पतंग द्वारा बनाई गई लघु फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहाl इतना ही नहीं मूल फिल्मी गीत पर उन्होंने अद्भुत लिप्सिंग अभिनय किया lसिद्धेश्वर की कविता,लघुकथा एवं उनके व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए युवा कवयित्री और गायिका रजनी श्रीवास्तव अनंता ने कहा कि -अर्थपूर्णं सुंदर कलाकृतियां, बेहतरीन लघुकथाओं और खूबसूरत ग़ज़लों के रचयिता है, साहित्यकार और कलाकार सिद्धेश्वर जी।सिद्धेश्वर के इस एकल पाठ विविधा की अध्यक्षता करते हुए सुप्रतिष्ठित लेखिका अनीता रश्मि ने कहा कि — सिद्धेश्वर जी सुपरिचित नाम हैं लघुकथा के। कलाकार तो वे हैं ही। उनकी लघु कथाएं आत्म मंथन करने वाले प्रश्न खड़ा करने में सक्षम है ।विशिष्ट अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ शरद नारायण खरे (म. प्र.) ने कहा कि – सुपरिचित व सुचर्चित कलमकार तथा रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर जी एक सधे हुए परिपक्व व मौलिक सृजक हैं। चर्चित लेखिका राज प्रिया रानी एवं ऋचा वर्मा ने कहा कि -आज से तकरीबन तीन-चार साल पहले .. कोरोना काल के ठीक पहले मैं साहित्य सम्मेलन में आना ज्यादा शुरू ही की थी की एक व्यक्ति को मैंने देखा जो अपनी जगह पर बिल्कुल स्थिर नहीं बैठे थे, सारा समय वह दूसरों के छवियां, मंच पर प्रस्तुति देते हुए या फिर सभागार में बैठे हुए अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के एपिसोड बढ़ते गये उनके कई रूप हमारे सामने आते गए। एक मंजे हुए साहित्यकार की भूमिका में उन्होंने देश भर के उत्कृष्ट से लेकर नवोदित साहित्यकारों को इस मंच से जोड़ा ,एक दूसरे से परिचित होने का अवसर प्रदान कियाl चर्चित कवयित्री विजया कुमारी मौर्य ( लखनऊ )अवसर साहित्य मंच के महानायक हीरो आदरणीय सिद्धेश्वर जी का मैं तहेदिल से नमन् करती हूँ।जिनके साहित्य का डंका अब पूरे देश में बज रहा है।कलम हस्ताक्षर पत्रिका की सम्पादिका निरुपमा सिन्हा वर्मा (खंडवा) ने कहा कि – सिद्धेश्वर जी को हम कुछ महीनो से ही जानते हैं पर उनका कला के प्रति रुझान, चाहे जिस भी क्षेत्र में हो से भरी भांति परिचित हैं। एक लेखक के तौर पर उनकी रचनाओं के बारे में बात की जाए या फिर उनकी कलाकृतियों के बारे में, सभी लाजवाब होती हैं।इन रचनाकारों के अतिरिक्त कविता कहानी एवं लघुकथा सृजन पर अपनी बेबाक टिप्पणी प्रस्तुत करने वाले में प्रमुख है निर्मल कुमार डे,सुहेल फारुकी, राज प्रिया रानी ,सुधा पांडे, प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र,भगवती प्रसाद,सुधीर,मिथिलेश दीक्षित, पुष्प रंजन, दुर्गेश मोहन, सुधा पांडे, ,राजेंद्र राज, संतोष मालवीय, चैतन्य किरण, शैलेंद्र सिंह,सुनील कुमार उपाध्याय,नीलम श्रीवास्तव आदि l♦🔷 प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव / भारतीय युवा साहित्यकार परिषद )

नोट:- निःशुल्क रचना प्रकाशन या वीडियो साहित्य आजकल से प्रसारण हेतु साहित्य आजकल टीम को 9709772649 पर व्हाट्सएप कर संपर्क करें।



Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top