“मां से बढ़कर कोई न दूजा” (मां पर हिंदी कविता)- हरे कृष्ण प्रकाश

“मां से बढ़कर कोई न दूजा” (मां पर हिंदी कविता)- हरे कृष्ण प्रकाश

                                  मां पर सबसे बेहतरीन कविता। मां पर हरे कृष्ण प्रकाश पूर्णियां की कविता।

                                 maa par best Hindi poem! Hare Krishna Prakash poem

Poet Hare Krishna Prakash

शीर्षक:- “मां से बढ़कर कोई न दूजा” 

मां से बढ़कर कोई न दूजा,
उसने ही मुझको है सींचा।।
करुणामयी वो ममतामयी है,
मेरे लिए मां सर्वोपरि है।।

 

खुद भूखी रह मुझको खिलाया,
हाथ पकड़ मां चलाना सिखाया,
ज्ञान की ज्योति मुझमें जलाने,
उंगली पकड़ मां लिखना सिखाया।।

 

मां से बढ़कर कोई न दूजा,
उसने ही मुझको है सींचा।।

 

बाधा जब जब पास थी आती,
लिपट मां मुझे सीने से लगाती,
सुख चैन सब त्याग उसने तो,
हर खुशियां है मुझपर लुटाती।।

 

मां से बढ़कर कोई न दूजा,
उसने ही मुझको है सींचा।।

 

मां की ममता और आंचल से,
यह दुनियां भी लगती है छोटी,
घूम घूम कर देखा जहां पर,
मां के चरणों में स्वर्ग है पाया।।

 

मां से बढ़कर कोई न दूजा,
उसने ही मुझको है सींचा।।
करुणामयी वो ममतामयी है,
मेरे लिए मां सर्वोपरी है।।

 

©®- हरे कृष्ण प्रकाश
युवा कवि पूर्णियां, बिहार
(संपर्क:- 7562026066)

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